इज्याध्ययनदानानि तपः सत्यं क्षमा घृणा ।
अलोभ इति मार्गोऽयं धर्मस्याष्टविधः स्मृतः ॥
तत्र पूर्वचतुर्वर्गो दम्भार्थमपि सेव्यते ।
उत्तरश्च चतुर्वर्गो नामहात्मसु तिष्ठति ॥
(याज्ञवल्क्यमृतिः १.११८)
ಪೂಜೆ, ಯಾಗಾದಿಗಳು, ವೇದಶಾಸ್ತ್ರಾದಿ ಅಧ್ಯಯನ, ದಾನ, ತಪಸ್ಸು, ಸತ್ಯನುಡಿ, ಅಪಕಾರವನ್ನು
ಸಹಿಸುವ ತಾಳ್ಮೆ, ದುಃಖಿಗಳಲ್ಲಿ ಕರುಣೆ, ಲೋಭವಿಲ್ಲದಿರುವುದು – ಇದು ಎಂಟು ವಿಧವಾದ ಧರ್ಮದ
ಮಾರ್ಗ.
पूजन-यज्ञयाग, वेदशास्त्रों का अध्ययन, दानधर्म, तपस्या,
सत्यवाणी, सहनशीलता, दुखियों के प्रति करुणाभावना, लोभ का अभाव यह आठ प्रकार के
धर्ममार्ग हैं।
इनमें से पहले चार- पूजा-यज्ञ, अध्ययन, दान और तपस्या
यह दांभिक लोगों में भी दिखाई देते हैं । अन्तिम चार-सत्य, सहनशीलता, करुणा,
लोभशून्यता यह तो केवल महात्माओं में ही नजर आते हैं ।
The eight types of ways towards the Dharma are- The
worship and sacrifice (Yajna), study, charity, penance, truth, tolerance, compassion to the
sorrowful, and lack of desire.
The first four- worship- sacrifice, study, charity
and penance are found in the people who are the false followers, but the later
four are only found in the great personalities.