Sunday, August 13, 2017

शास्त्रकोषः

इज्याध्ययनदानानि तपः सत्यं क्षमा घृणा ।
अलोभ इति मार्गोऽयं धर्मस्याष्टविधः स्मृतः ॥
तत्र पूर्वचतुर्वर्गो दम्भार्थमपि सेव्यते ।
उत्तरश्च चतुर्वर्गो नामहात्मसु तिष्ठति ॥
(याज्ञवल्क्यमृतिः १.११८)


ಪೂಜೆ, ಯಾಗಾದಿಗಳು, ವೇದಶಾಸ್ತ್ರಾದಿ ಅಧ್ಯಯನ, ದಾನ, ತಪಸ್ಸು, ಸತ್ಯನುಡಿ, ಅಪಕಾರವನ್ನು ಸಹಿಸುವ ತಾಳ್ಮೆ, ದುಃಖಿಗಳಲ್ಲಿ ಕರುಣೆ, ಲೋಭವಿಲ್ಲದಿರುವುದು – ಇದು ಎಂಟು ವಿಧವಾದ ಧರ್ಮದ ಮಾರ್ಗ.

पूजन-यज्ञयाग, वेदशास्त्रों का अध्ययन, दानधर्म, तपस्या, सत्यवाणी, सहनशीलता, दुखियों के प्रति करुणाभावना, लोभ का अभाव यह आठ प्रकार के धर्ममार्ग हैं।
इनमें से पहले चार- पूजा-यज्ञ, अध्ययन, दान और तपस्या यह दांभिक लोगों में भी दिखाई देते हैं । अन्तिम चार-सत्य, सहनशीलता, करुणा, लोभशून्यता यह तो केवल महात्माओं में ही नजर आते हैं ।

The eight types of ways towards the Dharma are- The worship and sacrifice (Yajna), study, charity, penance, truth, tolerance, compassion to the sorrowful, and lack of desire.

The first four- worship- sacrifice, study, charity and penance are found in the people who are the false followers, but the later four are only found in the great personalities.