Thursday, September 29, 2016

विभिन्नाचार्याणां मते काव्यलक्षणानि ( सङ्ग्रहः)


विभिन्नाचार्याणां मते  काव्यलक्षणानि ( सङ्ग्रहः)
                                                                                           @मोहितजोशी
शिक्षाशास्त्रि विभागः
१.       तददोषौ शब्दार्थौ सगुणावनलङ्कृती पुनः क्वापि ।  मम्मटः ( काव्यप्रकाशः)
२.       रमणीयार्थप्रतिपादकः  शब्दः काव्यम् ।  जगन्नाथः  (रसगङ्गाधरः)
३.       वाक्यं रसात्मकं काव्यम् ।  - विश्वनाथः (साहित्यदर्पणम्)
४.       शब्दार्थौ सहितौ काव्यम् । - भामहः  (काव्यालङ्कारः)
५.       शरीरं तावदिष्टार्थव्यवच्छिन्ना पदावली ।  - दण्डी (काव्यादर्शः)
६.       शब्दार्थौ काव्यम् ।   - रुद्रटः (काव्यालङ्कारः)
७.       मृदुललितपदाढ्यंगूढशब्दार्थहीनं जनपदसुबोध्यं युक्तिमन्वृत्ययोग्यम् ।
बहुकृतरसमार्गं सन्धिसन्धानयुक्तं  भवति जगति योग्यं नाटकं प्रेक्षकाणाम् ॥ - भरतमुनिः ( नाट्यशास्त्रम् )
८.        शब्दार्थौ सहितौ वक्रकविव्यापारशालिनि ।
              बन्धे व्यवस्थितौ काव्यं  तद्विदाह्लादकारिणि ॥          कुन्तकः ( वक्रोक्तिजीवितम् )
९.        सङ्क्षेपाद्  वाक्यमिष्टार्थव्यवच्छिन्ना पदावली
              काव्यं स्फुरदलङ्कारं गुणवद्  दोषवर्जितम्           -  अग्निपुराणम्
१०.     “ काव्यस्यायमलङ्कारैः किं मिथ्यागुणितैर्गुणैः ।
              यस्य जीवितमौचित्यं विचिन्त्यपि न दृश्यते ॥
              अलङ्कारास्त्वलङ्कारा गुणा स्वगुणाः सदा ।
              औचित्यं रससिद्धस्य स्थिरं काव्यस्य जीवितम् ” -  क्षेमेन्द्रः (औचित्यविचारचर्चा )
११.     “ काव्यं ग्राह्यमलङ्कारात् ” ॥ - काव्यालङ्कारसूत्राणि  (वामनः)
१२.    “ शब्दार्थौ काव्यम् ” ॥ काव्यालङ्कारः ( उद्भटः  )
१३.    “ काव्यस्यात्मा ध्वनिः ” ।
             “ सहृदयहृदयाह्लादिशब्दार्थमयत्येवमेव काव्यलक्षणम्  ” ॥ 
            ध्वन्यालोकः          ( आनन्दवर्धनाचार्यः)
१४.    “ विभावादिसयोगात्मा रसाभिव्यक्त्यव्यभिचारी कविव्यापारः काव्यम् ” व्यक्तिविवेकः  (महिमभट्टः)
१५.    “ निर्दोषं  गुणवत्काव्यमलङ्कारैरलङ्कृतम्
             रसान्वितं कविः कुर्वन्कीर्तिप्रीतिं च विन्दति ” ॥ सरस्वतीकण्ठाभरणम्  (भोजदेवः)
१६.    “ काव्यं विशिष्टशब्दार्थसाहित्यसदलङ्कृति ” ॥ कविकण्ठाभरणम्
१७.    “ गुणालङ्कारसहितौ शब्दार्थौ दोषवर्जितौ  ।
               गद्यपद्योभयमयं काव्यं काव्यविदो विदुः ” ॥ प्रतापरुद्रीयम्  (विद्यानाथः)
१८.    “ शब्दार्थौ निर्दोषौ सगुणौ प्रायः सालङ्कारौ काव्यम् ” ॥ काव्यानुशासनम्  (वाग्भट्टः)
१९.    “ गुणवदलङ्कृतं वाक्यमेव काव्यम् ”॥  काव्यमीमांसायाम् (राजशेखरः)
२०.    “ साधुशब्दार्थसन्दर्भगुणालङ्कारभूषितम् ।
        स्फुटरीतिरसोपेतं काव्यं कुर्वीत कीर्तये ” ॥ वाग्भटालङ्कारकः (वाग्भट्टः)
२१.    “ अदोषौ सगुणौ साऽलङ्कारौ च शब्दार्थौ काव्यम् ”॥ काव्यानुशासनम् (हेमचन्द्रः)
२२.    “ काव्यं रसादिमव्य्यं श्रुतं सुखविषेशक्रत् ” ॥ (शौद्धोदनिनुसारम् )
२३.    “ रसाऽलङ्कारयुक्तं सुखविषेशसाधनं काव्यम् ”॥ अलङ्कारशेखर (केशवमिश्रः)
२४.    “ शब्दाऽर्थवपुस्तावत् काव्यम् ” ॥ एकावली (विद्याधरः)
२५.    “ तत्र निर्दोषशब्दार्थगुणवत्ते सति स्फुटम् ।
२६.     गद्यादिबन्धरुपत्वं काव्यसामान्यलक्षणम् ” ॥ साहित्यसारः (अच्युतराजः)
२७.    “ सगुणालङ्कृती काव्यं पदार्थौ दोषवर्जितौ ” ॥ साहित्यरत्नाकर:­­­  (धर्मसुरि )
२८.    गुणालङ्कारसंयुक्तौ शब्दार्थौ रसभावुगौ ।
           नित्यदोषविनिर्मुक्तौ काव्यमित्यभिधीयते ”॥ अलङ्कारचन्द्रिका (न्यायवागीश)


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