Thursday, October 5, 2017

शास्त्रकोषः

संयतेन्द्रियसञ्चारं प्रोञ्चरेन्नादमान्तरम् ।
एष एव जपः प्रोक्तो न तु बाह्यजपो जपः ॥ (नित्याषोडशिकार्णवः)

ಇಂದ್ರಿಯಗಳೆಲ್ಲವನ್ನೂ ನಿಗ್ರಹಿಸಿ ಶರೀರಾಂತರ್ಗತವಾದ ಸೂಕ್ಷ್ಮನಾದವನ್ನು (ಪರಾ,ಪಶ್ಯಂತಿ,ಮಧ್ಯಮಾ) ಉಚ್ಚರಿಸುವುದೇ ಸರ್ವೋತ್ತಮ ಜಪ. ವೈಖರೀಶಬ್ದದ ಉಚ್ಚಾರಣೆಯು ಶ್ರೇಷ್ಠವಲ್ಲ.

सारे इन्द्रियों का निग्रह करके शरीर में स्थित सूक्ष्म नाद का उच्चारण करना ही सर्वोत्तम जाप होता है । वैखरीशब्दों का उच्चारण सबसे बेहतर नहीं होता है ।

The action of controlling all the sense organs and experiencing the deepest sound residing in our body is the most efficient chanting method. Pronunciation of Vaikharee words is not the finest one.

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