शीतवातातपैः रोगो
जायते पाण्डुपत्रता ।
अवृद्धिश्च
प्रवालानां शाखा शोषो रसस्रुतिः ॥ (बृहत्संहिता वृक्षार्युवेदाध्यायः 14)
ಹೆಚ್ಚಿನ ಶೈತ್ಯ, ಗಾಳಿ ಹಾಗೂ ಬಿಸಿಲಿನ ಕಾರಣದಿಂದ ಸಸ್ಯಗಳಿಗೆ ರೋಗವುಂಟಾಗುತ್ತದೆ. ಎಲೆಗಳು
ಬಿಳುಪಾಗುವುದು, ಅಂಕುರಗಳು ಬೆಳೆಯದಿರುವುದು, ಶಾಖೆಗಳು ಒಣಗುವುದು, ರಸಸ್ರಾವ-ಇವೆಲ್ಲವೂ
ರೋಗಗ್ರಸ್ತ ಸಸ್ಯದ ಲಕ್ಷಣಗಳಾಗಿವೆ.
अधिक
प्रमाण में ठंड, वायु और गरमी होने से पौधों को रोग प्राप्त होते हैं । पौधों के
पत्ते सफेद होना, अंकुरों का न उगना, शाखों का सूख जाना, रसस्राव होना यह सारे
रोगग्रस्त पौधों के लक्षण हैं ।
The excess of cold,
wind and heat lead to the emerge of diseases in plants. Whitening of leaves,
lesser growth of saplings, dryness seen in the branches, flow of some fluids
are the signs of the plants suffering from disease.
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